in

मंदोदरी की कहानी – एक मेंढकी कैसे बनी रावण की पत्नी

पुलस्त्य ऋषि के पुत्र और महर्षि अगस्त्य के भाई महर्षि विश्रवा ने राक्षसराज सुमाली और ताड़का की पुत्री राजकुमारी कैकसी से विवाह किया था। कैकसी के तीन पुत्र और एक पुत्री थी- रावण, कुम्भकर्ण, विभीषण और सूर्पणखाविश्रवा की दूसरी पत्नी ऋषि भारद्वाज की पुत्री इलाविडा थीं जिससे कुबेर का जन्म हुआ।

इलाविडा को वरवर्णिनी भी कहते थे। कुछ मान्यताओं अनुसार इलाविडा वैवस्वतवंशी चक्रवर्ती सम्राट तृणबिन्दु की अलामबुशा नामक अपसरा से उत्पन्न पुत्री थीं। इस तरह रावण के सौतेले भाई थे कुबेर।

रावण को त्रैलोक्य विजयी, कुम्भकर्ण को छ: माह की नींद और विभीषण को भगवद्भक्ति का वरदान प्राप्त था। तीनों भाई कुबेर से छीन ली गई लंका में रहते थे। रावण ने दिति के पुत्र मय की कन्या मन्दोदरी से विवाह किया, जो हेमा नामक अप्सरा के गर्भ से उत्पन्न हुई थी। विरोचनपुत्र बलि की पुत्री वज्रज्वला से कुम्भकर्ण का और गन्धर्वराज महात्मा शैलूष की कन्या सरमा से विभीषण का विवाह हुआ। मंदोदरी के बारे में जो कथा मिलती है उसके अनुसार यह हेमा नाम की अप्सरा की बेटी थी। देवराज इंद्र की सभा में एक बार कश्यप ऋषि के पुत्र माया की नजर हेमा पर गयी और वह मोहित हो गया। माया ने हेमा के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा विवाह के पश्चात हेमा ने मायासुर की पुत्री की जन्म दिया जो मंदोदरी कहलायी। अप्सरा की बेटी होने के कारण मंदोदरी बहुत ही सुंदर और आकर्षक थी।

 

यह भी पढ़ें – रावण को पत्नी मंदोदरी ने मारी एक लात, तब हुआ यह करामात

मंदोदरी के पूर्व जन्म की कहानी

हिन्दू पुराणों में दर्ज एक कथा के अनुसार, एक बार मधुरा नामक एक अप्सरा कैलाश पर्वत पर पहुंची और देवी पार्वती को वहां ना पाकर वह भगवान शिव को आकर्षित करने का प्रयत्न करने लगी। तभी देवी पार्वती वहां पहुंचती हैं और क्रोध में आकर इस अप्सरा को श्राप देती हैं कि वह 12 साल तक मेढक बनकर कुएं में रहेगी।

भगवान शिव के बार-बार कहने पर माता पार्वती ने मधुरा से कहा कि कठोर तप के बाद ही वह अपने असल स्वरूप में वापस आ सकती है।

मधुरा लंबे समय तक कठोर तप करती है। इसी दौरान असुरों के देवता, मयासुर और उनकी अप्सरा पत्नी हेमा एक पुत्री की प्राप्ति के लिए तपस्या करते हैं। इसी बीच मधुरा की कठोर तपस्या से वह श्राप मुक्त हो जाती है। एक कुएं से मयासुर-हेमा को मधुरा की आवाज सुनाई देती है। मयासुर मधुरा को कुएं से बाहर निकालते हैं और उसे बेटी के रूप में गोद ले लेते हैं। मयासुर अपनी गोद ली पुत्री का नाम मंदोदरी रखते हैं। जिनसे रावण बाद में विवाह करता है।

रावण-मंदोदरी विवाह

एक बार रावण, मयासुर से मिलने आया और वहां उनकी खूबसूरत पुत्री को देखकर उस पर मंत्रमुग्ध हो गया। रावण ने मंदोदरी से विवाह करने की इच्छा जाहिर की, जिसे मायासुर ने अस्वीकार कर दिया। लेकिन रावण ने हार नहीं मानी और जबरन मंदोदरी से विवाह कर लिया।

मंदोदरी जानती थी कि रावण अत्यंत शक्तिशाली है, इसलिए अपने पिता की सुरक्षा के लिए वह रावण के साथ विवाह करने के लिए तैयार हो गई। रावण और मंदोदरी के तीन पुत्र हुए, अक्षय कुमार, मेघनाद और अतिकाय।

रावण बहुत अहंकारी था, मंदोदरी जानती थी कि जिस मार्ग पर वह चल रहा है, उस मार्ग पर सिवाय विनाश के कुछ हासिल नहीं होगा। उसने बहुत कोशिश की ताकि रावण सही मार्ग पर चल पड़े, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

मंदोदरी चाहती थी कि रावण, भगवान राम की पत्नी माता सीता को उनके पति के पास भेज दे। क्योंकि वह उस श्राप के विषय में जानती थी जिसके अनुसार भगवान राम के हाथ से ही रावण का अंत होना था।

लेकिन जब राम-रावण युद्ध हुआ, तब एक अच्छी पत्नी की तरह उसने अपने पति का साथ दिया और समर्पित स्त्री की पहचान कराते हुए रावण के जीवित लौट आने की कामना के साथ उसे रणभूमि के लिए विदा किया।

यह भी पढ़ें – रावण को पत्नी मंदोदरी ने मारी एक लात, तब हुआ यह करामात

रावण वध के बाद विभीषण से किया था विवाह

सोने की लंका की महारानी मंदोदरी रामायण का एक ऐसा पात्र हैं जिन्हें कभी ठीक से नहीं जाना गया। उनकी पहचान हमेशा लंकापति रावण की पत्नी तक ही सीमित रही और रावण की मृत्यु के बाद उनका अध्याय भी जैसे समाप्त कर दिया गया। बहुत कम लोग जानते होंगे कि रावण के वध के बाद मंदोदरी के साथ क्या हुआ था।

रावण के वध के बाद मंदोदरी रणभूमि पर पहुंचती हैं। यहां पति-पुत्र के साथ-साथ अपनों के शव देखकर शोक में डूब जाती हैं। यहां श्रीराम उन्हें याद दिलाते हैं कि वे अब भी लंका की महारानी और अत्यंत बलशाली रावण की विधवा हैं। इसके बाद मंदोदरी लंका वापस लौट जाती हैं।

एक किवदंती के अनुसार पति-पुत्र के दुख में मंदोदरी खुद को महल में कैद कर लेती हैं। वे पूरी तरह से बाहरी दुनिया से संपर्क तोड़ लेती हैं। इस दौरान विभीषण लंका का राजपाट संभालते हैं। कई सालों बाद मंदोदरी फिर से अपने महल से बाहर निकलती हैं और विभीषण से विवाह करने के लिए तैयार हो जाती हैं। विवाह के बाद मंदोदरी ने विभीषण के साथ मिलकर लंका के साम्राज्य को सही दिशा में आगे बढ़ाया।

नोट : मंदोदरी-विभीषण विवाह किवदंतियों पर आधारित है। कुह ग्रंथो में यह भी वर्णिंत है की रावण की मृत्यु के पश्चात मंदोदरी रावण के शव के साथ ही सती हो गई थी।

यह भी पढ़ें – रावण को पत्नी मंदोदरी ने मारी एक लात, तब हुआ यह करामात

 

Recommended Products from JiPanditJi

 

Report

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Loading…

0

What do you think?

7584 points
Upvote Downvote

राशियों के अनुसार विद्या अघ्ययन

महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ति की कथा